Sunday 23 July 2017

उफ़ ये चायना मार्केट !!!!

Plz do comment if you like reading this ......

"चाहे कोई भी कंपनी हो इंसान हो या घर की व्यवस्था हो या फिर कोई भी देश हो हर चीज में आत्मविश्वास बना रहता है अर्थव्यवस्था से ! अगर हमारे घर की अर्थव्यवस्था यानी फाइनेंशियल कंडीशन अच्छी नहीं है तो हम निश्चित तौर पर खुद को कमतर फील करते हैं,  sudridh अर्थव्यवस्था से आवाज और आत्मविश्वास अपने आप ही मजबूत हो जाता है !
जी हां ,मैं बात को उसी ओर ले जाना चाह रही हूं, जहां की हवा आज के दौर में देश-विदेश ,मीडिया, सोशल मीडिया से लेकर आम आदमी तक में बहस का मुद्दा बनी हुई है ! चीन का बेखौफ और आत्मविश्वास से लबरेज भारत से संवाद ,या यूं कहें धमकियां ...पाकिस्तान के मंसूबे और इन दोनों के मेल से जो गुल खिल सकता है ,उसका अंदाजा अपने ही घर की पोल पटिया खोलने वाले देशभक्तों को भी बखूबी होगा !!
दोस्तों ,आज देश में दो गुट हैं ! एक ,जो थोड़ा सा भी देशभक्ति का जज्बा रखते हैं और चाइना प्रोडक्ट्स को ना खरीदने की अपील करता है ....इस बात से अनजान कि चाइना प्रोडक्ट उसके घर के हर कमरे, बाथरुम, किचन तक में घुसे हुए हैं ..फिर भी जज्बा तो है 

वही दूसरा वर्ग ,सिर्फ इस बात को उजागर करता है कि हमसब कुछ नहीं कर सकते, या भारत का कुछ नहीं हो सकता !चाइना मार्केट ने इस कदर इंडिया को कैप्चर किया हुआ है कि इसको इग्नोर करना नामुमकिन है... वगैरा-वगैरा.... यह वही संवेदनशील लोग हैं जिन्हें जो सिर्फ कमियां देखते हैं....यह ठीक उसी तरह है जैसे किसी दरिंदे की दरिंदगी का शिकार हुई मासूम को ही हमारे कुछ माननीय नेतागण नसीहतें देते नजर आते हैं अक्सर! 
पर जरा एक बार सोचिए ,(हालांकि बार-बार कुछ बेचारे लोग यह सोचने पर मजबूर  करवाते रहते हैं) कि अगर हमने कुछ नहीं किया तो चीन-पाकिस्तान मिलकर हमारा क्या हाल कर सकते हैं ?

चीन का बाजार आज सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अपनी धाक जमाए हुए हैं ! यकीनन वहां के लोग बहुत मेहनती हैं ..इसके अलावा वह यकीन रखते हैं खुद पर ,खुद की इच्छा शक्ति पर और छा जाने पर ! आज अमेरिका भी जाएंगे तो आपको मेड इन चाइना का ही सामान मिलेगा और भारत का तो 95% मार्किट चीन के कब्जे में है !!!एक इंसान यह सोचेगा कि सिर्फ मेरे खरीदने ya ना खरीदने से क्या फर्क पड़ता है ?? 
तो फर्क पड़ता है भाई !!!    एक-एक जुड़ते गए तो पंचानवे हो गया ! 

जो लोग सरकार को  दोष देते हैं ..ki चीन से सामान लाना बंद करवाएं ...ऐसे लोगों को यही जवाब है कि इस मामले को वैश्विक परिप्रेक्ष्य में समझने की जरूरत है
 वैश्विक परिप्रेक्ष्य में संबंध बाजारी नीतियों को नजरअंदाज करना हमें मुसीबत में डाल सकता है ! इसे ऐसे समझें कि अगर आप किसी को सामान ला कर अपने देश में बेचने से रोक देंगे तो आपको भी कभी वहां जाकर व्यापार नहीं करने दिया जाएगा !!   भारत में भी निर्यात के अवसर खतरे में पड़ जाएंगे, इसका एक ही तरीका है ,चीनी सामानों की खपत बंद हो और अपने सामान का यही निर्माण किया जाए! जब खपत  ही नहीं होगी ,तो मांग अपने आप ही बंद हो जाएगी ...और मांग अपने आप ही बंद हो गई तो चीनी मार्केट अपने आप ही खत्म हो जाएगा.. लेकिन इसके लिए एकजुट होना पड़ेगा.

 दूसरे ,आजकल ऑनलाइन कितनी ही साइट है ,जो सामान और समाचार बेचकर पैसा कमा रही है.. अलीबाबा ,पेटीएम ,UC Browser और न जाने कितनी .....सब बंद करें !दूसरों को दोष ना दें !खुद अपने घर से ही शुरुआत करें!

  याद है पिछली दिवाली सब ने मिलकर चाइनीज पटाखों का बहिष्कार किया था तो 20% बाजारी बहिष्कार से चीन कैसे तिलमिला गया था!!! वही जरूरत आज फिर है ...अपने देश की सुरक्षा के लिए ....अपने सरहद के जवानों के लिए ...और खुद अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट के लिए!!!! दूसरों को मजबूत बनाने से पहले खुद को मजबूत बनाना पड़ेगा तभी हमारी आवाज में भी मजबूती आ पाएगी!!!! "
  - saumya©


-- 
Saumya


10 comments:

  1. Thanks for reading . You are welcome to share your thoughts .

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  2. Exactly... I agree with you.��

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  3. Above
    Consumer is a simple buyer who wants to save some money n china takes advantage of it ..Its government who shoud thoroughly prohibit Chinese prodect to import ... buyer will automatically buy "swadeshi "

    By ...Shambhvi .

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  4. सौ प्रतिशत सही बात सौम्या .... समय आ गया है एकजुट होकर जवाब देने का ....... और शुरुआत हर किसी को ये सोचकर करना है की ये हो सकता है ना की ये सोचकर की मेरे अकेले के करने से क्या होगा ।
    शिखा श्रीवास्तव

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  5. क्या बात है!!! बहुत खूब ... सच कहा आपने एक-एक करके पंचानवे होने की घड़ी शायद आ गई है क्योंकि दुनिया के किसी भी मुल्क में ऐसा नहीं होता जहां व्यापार और वार एक साथ चल रहे हो ... राजनीतिक मजबूरियां अपनी जगह है लेकिन जनता को किसने रोका है? और जनता को रोक भी कौन सकता है? सुंदर आलेख, विचारोत्तेजक किंतु संयमित भाषा... सौम्य और उत्कृष्ट लेखन .. बहुत-बहुत बधाई

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  6. I 100% agree with u Shambhavi.aap soch bhi nahi sakte ki chaina ki kya kya cheezen humare ghar me hoti hi.unka bahishkaar possible hi nahi hi.aur consumer bhi sabse pahle apni Jeb dekhta hi.agar same cheezen Hume Jan price per milengi to obviously hum pahle price hi dekhege. government to itne bade bade projects deti ja rahi hi China ko hum Chhoti Chhoti cheezo ka bahishkaar karne me lage huye hi..ye humari government ka double standard hi

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  7. I 100% agree with u Shambhavi.aap soch bhi nahi sakte ki chaina ki kya kya cheezen humare ghar me hoti hi.unka bahishkaar possible hi nahi hi.aur consumer bhi sabse pahle apni Jeb dekhta hi.agar same cheezen Hume Jan price per milengi to obviously hum pahle price hi dekhege. government to itne bade bade projects deti ja rahi hi China ko hum Chhoti Chhoti cheezo ka bahishkaar karne me lage huye hi..ye humari government ka double standard hi

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  8. सही कहा सौम्या ! चाइना के एक-एक करके यदि पंचानवे हो गए ,तो हम एक-एक करके 195 क्यों नहीं हो सकते ? बहिष्कार किया जाना चाहिए मेड इन चाइना प्रोडक्ट का ! जैसे एक बार किया था विदेशी कपड़ों का.. जब तक हम मेड इन भारत के प्रोडक्ट को use करके उनकी खपत को नहीं badhayenge ,तब तक हम जान नहीं पाएंगे कि चाइना के सस्ते टिकाऊ सामान की अपेक्षा हमारी प्रोडक्ट्स कितने उम्दा है !बहुत ही दमदार तरीके से इस बात को कहा है ! Saumya keep it up!! ऐसी ही पोस्ट करती रहो .All the best!

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  9. सही कहा सौम्या ! चाइना के एक-एक करके यदि पंचानवे हो गए ,तो हम एक-एक करके 195 क्यों नहीं हो सकते ? बहिष्कार किया जाना चाहिए मेड इन चाइना प्रोडक्ट का ! जैसे एक बार किया था विदेशी कपड़ों का.. जब तक हम मेड इन भारत के प्रोडक्ट को use करके उनकी खपत को नहीं badhayenge ,तब तक हम जान नहीं पाएंगे कि चाइना के सस्ते टिकाऊ सामान की अपेक्षा हमारी प्रोडक्ट्स कितने उम्दा है !बहुत ही दमदार तरीके से इस बात को कहा है ! Saumya keep it up!! ऐसी ही पोस्ट करती रहो .All the best!

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  10. शानदार सौम्या
    अर्थव्यवस्था से आत्मविश्वास का आकलन
    और फिर
    देश के दो गुटों के विश्लेषण
    आगे
    वैश्विक परिपेक्ष में दुनिया से आत्मसात करने की नीति
    और अंत मे
    खुद सुधरो तो जग सुधरेगा का संदेश
    शानदार
    शुभकामनाए

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